लोकतंत्र मुट्ठी के अंदर, जनता की तो बस उंगली है । लोकतंत्र मुट्ठी के अंदर, जनता की तो बस उंगली है ।
फिर चुनावों का है मौसम, टोपियों ने बदले हैँ रंग. फिर चुनावों का है मौसम, टोपियों ने बदले हैँ रंग.
हमारे मानस में चिरप्रवाहित हो श्रीजगन्नाथ जी की भक्ति-सरिता, माताजी की मधुरवाणी ममत्व सैम परमशान्ति... हमारे मानस में चिरप्रवाहित हो श्रीजगन्नाथ जी की भक्ति-सरिता, माताजी की मधुरवाणी...
राज गद्दी के लोभ ने फिर से जनता के बीच में लाया है। राज गद्दी के लोभ ने फिर से जनता के बीच में लाया है।
फिर भी चरण-रज सिर लगाती नहीं अघाती। फिर भी चरण-रज सिर लगाती नहीं अघाती।
सबक सिखा देंगे हम मिलकर, नेक बनेंगे, एक बनेंगे। सबक सिखा देंगे हम मिलकर, नेक बनेंगे, एक बनेंगे।